Monday, November 11, 2013

कलियुग

यमराज हूँ , यमदूत हूँ 
मैं मृत्यु का संचार हूँ
कलियुग की बलिवेदी हूँ मैं
मैं कल्कि का अवतार हूँ

मैं प्रेत हूँ, मैं शाप हूँ
मैं काल हूँ, मैं पाप हूँ
श्मशान की मैं राख हूँ
इस युग का मैं अभिशाप हूँ

मंथन से निकला विष हूँ मैं
सागर का उठता ज्वार हूँ
मैं अग्नि का आकार हूँ
इस सृष्टि का संहार हूँ

इन्द्र डर से झुक पड़े
ऐसा निडर भोकाल हूँ
मैं कंस हूँ, विकराल हूँ
मैं सर्व हूँ, मैं काल हूँ 

मैं क्रूर हूँ, अपवित्र हूँ
मैं एक ध्वंसक नृत्य हूँ
मैं ही नरक की श्वास हूँ
मैं ही मरण का कृत्य हूँ.